फिर से-51
VIJAY KUMAR VERMA
12:30 AM
तुम्हारी आँखों के फैसले पर, लगी हुई मन की आस फिर से। बदन नहाया हुआ अश्क से, मगर लबों पे है प्यास फिर से।। उलझन मन कु बढ़ती जाये, कभी हँ...Read More
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Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
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