फिर से
जुनून जूझने का मुश्किलों से,
चाहता हूँ आजमाना फिर से।
फिर से दो चार हाथ हो जाये;
सामने हूँ आ जमाना फिर से।।
तेरी तरकीब सीख आया हूँ,
नये साँचे मे ढल के आया हूँ।
पलट के रख दूँ तेरे दाँव सभी,
तू भी कहना आज माना फिर से।
-विजय वर्मा
(फिर से-41)
25-02-2017
चाहता हूँ आजमाना फिर से।
फिर से दो चार हाथ हो जाये;
सामने हूँ आ जमाना फिर से।।
तेरी तरकीब सीख आया हूँ,
नये साँचे मे ढल के आया हूँ।
पलट के रख दूँ तेरे दाँव सभी,
तू भी कहना आज माना फिर से।
-विजय वर्मा
(फिर से-41)
25-02-2017
फिर से
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
7:44 PM
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