चाहत नही बदली
हर शक्स है बदहाल सा,हालत नही बदली।
बदलते रहे किरदार,सियासत नही बदली।।
बस रंग बदलती रही,दीवार कई बार,
जो बारिश मे टपकती है,वो छत नही बदली।
वो दुश्मनी करता तो कोई बात भी होती,
आस्तीन के सांपो ने,अपनी फितरत नही बदली।
उडने की कोशिश मे वो दिन भर का दौडना,
बचपन चला गया ,मगर आदत नही बदली।
आँखो से उसे छूने पर ,मिलता कहाँ सुकून,
हाथो से चाँद छूने की,चाहत नही बदली।
-विजय वर्मा
बदलते रहे किरदार,सियासत नही बदली।।
बस रंग बदलती रही,दीवार कई बार,
जो बारिश मे टपकती है,वो छत नही बदली।
वो दुश्मनी करता तो कोई बात भी होती,
आस्तीन के सांपो ने,अपनी फितरत नही बदली।
उडने की कोशिश मे वो दिन भर का दौडना,
बचपन चला गया ,मगर आदत नही बदली।
आँखो से उसे छूने पर ,मिलता कहाँ सुकून,
हाथो से चाँद छूने की,चाहत नही बदली।
-विजय वर्मा
चाहत नही बदली
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
12:17 AM
Rating:
दीवारों के रंग बदल जाते हैं ... पर टपकती छत नहीं बदलती ...
ReplyDeleteबहुत गहरा एहसास लिए भाव ...
भई वाह
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