बस उम्र ढलती जा रही है
नियति मेरे साथ कैसी,
चाल चलती जा रही है /
बात है कुछ भी नही पर ,
बात बढ़ती जा रही है /
हर पल मेरे उम्मीद की ,
उम्र घटती जा रही है /
है ख्वाहिशें अब भी जवां ,
बस उम्र ढलती जा रही है /
-विजय वर्मा
बस उम्र ढलती जा रही है
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
10:45 PM
Rating:
गागर में सागर।
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