ऐसे साथी की मुझको ,जरूरत नहीं
सच को सच कहने की ,जिसमे जुर्रत नहीं /
ऐसे साथी की मुझको ,जरूरत नहीं //
मेरी अंगुली कटी ,और मुस्काए वो ,
और कुछ भी हो ये ,पर मोहब्बत नहीं /
भाव दिल के मिले ,तो फिर लग जा गले ,
प्यार करने की कोई ,मुहूर्त नहीं /
ऐसे साथी की मुझको ,जरूरत नहीं //
मेरी अंगुली कटी ,और मुस्काए वो ,
और कुछ भी हो ये ,पर मोहब्बत नहीं /
भाव दिल के मिले ,तो फिर लग जा गले ,
प्यार करने की कोई ,मुहूर्त नहीं /
ऐसे साथी की मुझको ,जरूरत नहीं
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
7:07 AM
Rating:
विजय जी अच्छी लगी यह ग़ज़ल नुमा कविता.. मुहूर्त पुल्लिंग है!! प्यार करने का कोई महूरत नहीं!!
ReplyDeletewah wah vijay ji bahut badhiya sher kahe aapne
ReplyDeleteBadhai swikare
बेहद सपाट वक्तव्य सत्य का।
ReplyDeleteयथार्थ और सही अंदाज में बात कही है.
ReplyDeleteछोटी सी कितु खूबसूरत गज़ल । बहुत साफ और स्पष्ट बात कही है ।
ReplyDeleteAccha hai Vijay Ji
ReplyDeleteमेरी अंगुली कटी ,और मुस्काए वो ,
ReplyDeleteऔर कुछ भी हो ये ,पर मोहब्बत नहीं /
vaah
और आखिरी शेर क्या बात है। बधाई।
भाव दिल के मिले ,तो फिर लग जा गले ,
ReplyDeleteप्यार करने की कोई ,मुहूर्त नहीं
bahut hi khoobsurat .
nice
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर
ReplyDeleteपहली बार आपको पढ़ा
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
भाव दिल के मिले ,तो फिर लग जा गले ,
ReplyDeleteप्यार करने की कोई ,मुहूर्त नहीं ..
Beautiful!...Too appealing !
.
bahut khubsurat bhaav.
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल.. बहुत ही सुंदर
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com
ReplyDeleteकल 12/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!