
नए वर्ष के स्वागत में हम ,बीते वर्ष को भूल ही गए /नूतन वर्ष के स्वागत में बहुत से गीत बने और गाये गए ,किन्तु किसी ने बीते वर्ष को याद करने की गलती नहीं की /एक कहावत है नया नौ दिन ,पुराना सौ दिन /इसलिए एक छोटी सी रचना समर्पित कर रहा हूँ ,बीते हुए वर्ष को ...
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल
आँखों में दहशत ,और मन बहुत बेचैन
डर सा इक समाया है ,दिन हो या रैन
कौन कहाँ हो जाये हलाल
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल
बच्चे रोते रोते ,भूखे पेट सो गए
पेट -पीठ पिचक कर ,हैं एक हो गए
और नेता जी के गाल लाल लाल
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल
बाप को है चिंता ,कैसे आये यूरिया
बेटा अड़ा जिद पे ,चाही मोबाईल नोकिया
घर में मचा है ,इसी पर बवाल
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल
हाथ तो बढे ,मगर वो हाथ न लगी
दिल की लगी ,बनके रह यूँ दिल्लगी
क्या कहें ,है मन में क्या मलाल
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल

चला ही गया बीता साल।
ReplyDeleteachchhi rachna .
ReplyDeletebeeta wakht kai unsuljhe sawal to chhod hi jata hai.
अच्छा गीत, विलम्ब से ही सही, नवा वर्ष के आगमन के साथ विगत का लेखा जोखा अच्छा लगा!
ReplyDeleteबच्चे रोते रोते ,भूखे पेट सो गए
ReplyDeleteपेट -पीठ पिचक कर ,हैं एक हो गए
और नेता जी के गाल लाल लाल
दे के जाने कितने ही सवाल ,
चला गया बीता हुआ साल ...
ये सारे सवाल हर आने वाला नया साल दे जाता है ... पर फिर भी उम्मीद है की कायम रहती है ... सुन्दर प्रस्तुति ..
सुंदर भावाभिव्यक्ति हार्दिक बधाई!
ReplyDeleteसच बीता साल जाते जाते न जाने कितना सवाल छोड़ गया है........ बहुत ही बढ़िया कविता .
ReplyDeleteबुलंद हौसले का दूसरा नाम : आभा खेत्रपाल
आप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteआपकी नये वर्ष के उपलक्ष मे कही गई कविता और बीते साल के सवाल बहुत तीखा कटाक्ष करते हैं ।
ReplyDeleteअति सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत खूब
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