ये दिन जितना सुहाना आजकल पहले कभी ना था ये मौसम आशिकाना आजकल पहले कभी ना था तेरे आने का असर है या मुझे यूँ ही लगता है ये दिल जितना दीवाना आजकल पहले कभी ना था विजय कुमार वर्मा जुलाई 2009
बेहद लाज़बाब।
ReplyDeleteहर किसी के जीवन में ऐसा पल आता है!!
ReplyDeletewah wah
ReplyDeleteKya baat hai
बहुत खूब...वाह...
ReplyDeleteनीरज
तेरे आने का असर है या मुझे यूँ ही लगता है
ReplyDeleteये दिल जितना दीवाना आजकल पहले कभी ना था
आपने सच कहा है ... ये उनके आने का ही असर है ... इश्क का जादू ऐसे ही चलता है ..
जूलाई २००९ में जब आपने यह कविता लिखी वर्षा ऋतू का सुहाना मौसम था तथा अब इस समय सुहानी ठण्ड के मौसम में जब पोस्ट किया है -सुहाना ही मौसम है. समयानुकूल रचना है.
ReplyDeleteवाह वर्मा जी , बेहद सुन्दर और भावोँ से परिपूर्ण ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।।।।। ऐसा ही होता है विजय भाई
ReplyDeleteye uske aane ka asar hi to hai ki dil diwaana ho utha.....bahut khoob!!!
ReplyDeleteक्या बात है ..बेहद सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत खूब..वाह,क्या बात है
ReplyDeleteवाह!वाह!.......बहुत खूब भी
ReplyDeleteतेरे आने का असर है या मुझे यूँ ही लगता है
ReplyDeleteये दिल जितना दीवाना आजकल पहले कभी ना था
उनको बता दो भाई अपनी हालत के बारे में
ताकि वो वो कुछ सोच सके आपके बारे में
...बहुत बढ़िया
वाह बहुत खूब शायरी। शुभकामनायें।
ReplyDeleteWah khoob likha hai....Sunder
ReplyDeleteअच्छी रचना लफ्जो का सुंदर उपयोग !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया .........
विजय भाई, इस रूमानी कविता को पढकर सचमुच मजा आ गया। बधाई स्वीकारें।
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प्रेत साधने वाले।
रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?
बहुत खूब विजय जी...
ReplyDeleteबहुत खूब
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