ऐसे दीप जलाएं

अंतस में जो कलुष भाव है ,उसको आज मिटायें
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
रूठ के बच्चे से कोई ,बैठे ना दूर खिलौना
आँखों से रूठे ना कोई ,सुन्दर स्वपन सलौना
जिन्हें अभी तक गिले मिले ही ,उनको गले लगायें
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
ढाबों पर नन्हे बच्चे जो ,बर्तन को धोते हैं
सबको खिलाते रहते हैं ,और खुद भूखे सोते हैं
अब तक जो कभी हँसे नहीं ,उनको आज हंसाएं
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
आँख ना कोई गीली हो ,होठ ना कोई प्यासा
ना निराश हो कोई कभी ,हो बस आशा ही आशा
कोई कहीं गिर जाये कभी तो ,हाथ कई बढ़ जाएँ
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
विजय कुमार वर्मा
ऐसे दीप जलाएं
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
8:30 AM
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बड़े सधे और मझे अंदाज़ में दीवाली का संदेश दे गये आप।
ReplyDeleteपावन भाव ,
ReplyDeleteबधाई
आँख ना कोई गीली हो ,होठ ना कोई प्यासा
ना निराश हो कोई कभी ,हो बस आशा ही आशा
आपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएँ.
जीवन सुख समृद्धियों से भरे, ऐसी हमारी शुभ- भावनाएँ.
- विजय तिवारी ' किसलय "
- विजय
दीपावली की शुभकामनाओं के साथ इस प्यारी रचना के लिए ढेरों बधाई ...
ReplyDeleteअच्छा सन्देश दिया आपने ......
बहुत सुन्दर गीतात्मक रचना ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना। बधाई।आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआँख ना कोई गीली हो ,होठ ना कोई प्यासा
ReplyDeleteना निराश हो कोई कभी ,हो बस आशा ही आशा
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर व पावन भाव ......दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDelete.
ReplyDeleteकहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
Waah ! Beautiful !
Happy Diwali
.
जगमग करता सुन्दर सन्देश। आपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपके ये संदेश मन में भी जगमगानें लगे हैं
ReplyDeleteआपको सपरिवार दिपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं ....
ReplyDeletebahut sunder rachna ....
ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआँख ना कोई गीली हो ,होठ ना कोई प्यासा
ReplyDeleteना निराश हो कोई कभी ,हो बस आशा ही आशा
कोई कहीं गिर जाये कभी तो ,हाथ कई बढ़ जाएँ
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं
आमीन.
दीपावली के उपहार की तरह है आपकी रचना.
ढाबों पर नन्हे बच्चे जो ,बर्तन को धोते हैं
ReplyDeleteसबको खिलाते रहते हैं ,और खुद भूखे सोते हैं
अब तक जो कभी हँसे नहीं ,उनको आज हंसाएं
कहीं ठौर ना पाए अँधेरा ,ऐसे दीप जलाएं ...
आमीन ... बहुत ही लाजवाब दुआ है .. काश इस दिवाली आपकी दुआ कबूल हो ....
बहुत ही छा सन्देश छिपा है इस लाजवाब रचना में ... आपको दिवाली की मंगल कामनाएं ...
वर्माजी ,
ReplyDeleteबेहद सटीक और पते की बातें कही हैं आपने ,काश सभी इस मर्म को समझ जाएँ तो वस्तुतः दीपावली का उद्देश्य सफल हो जाए .
भाई -दोज की शुभ -कामनाएं .
बहुत सही बात कहेँ आप....जब सारा ब्लाग जगत दीवाली की खुशियोँ मेँ मदमस्त है ऐसे मेँ मानवीय सरोकारोँ से भरी यह रचना वाकई काविलेतारीफ है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
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