चुनाव आ गया


उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न भागों में चुनाव कार्यक्रम चल रहा है ,इस सन्दर्भ में एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ ;जिसको १९९८ में लिखा था जब मै इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढता था /रचना बहुत पुरानी है लेकिन उम्मीद है आप लोगो को पसंद आयेगी
बदलने लगी रंगत कि ,फिर चुनाव आ गया
नभ से जमी पे ,नेता जी का पांव आ गया
नेता फुदक रहे ,जैसे बरसात के मेढक ,
मौसम में इस तरह का ,बदलाव आ गया
कहता है कौन गावं का ,विकास ठप्प है ,
बाज़ार में लाठी का देखो ,भाव आ गया
जब से हुआ सुधार ,राजनीति के द्वारा ,
गुंडों के आचरण में कुछ ,झुकाव आ गया
फुटपाथियो को फिर फलक का ख्वाब दिखाने,
मदारियों का झुण्ड फिर से गाँव आ गया
जिन बदलो से वर्षा की उम्मीद ,न रहे
दो पल सही ,तपती जमी पर छाँव आ गया
विजय कुमार वर्मा
स्थान -इलाहाबाद
1998
चुनाव आ गया
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
8:48 AM
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क्या करें अपनी मंशा न थी,
ReplyDeleteपर बेबात ही उन्हे तनाव आ गया।
विजय बाबू! मजा आ गया!बिन मौसम टर्राते मेंढक देखकर दिल बाग बाग हो गया!!
ReplyDeleteVermaji
ReplyDeleteBilkul sahi bayan kiya hai aapne aaj bhi chaspa hai.
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ReplyDeleteटर्राते मेढक की उपमा बहुत अच्छी लगी । जबरदस्त व्यंग !
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waah......!!!!!
ReplyDeleteजिन बदलो से वर्षा की उम्मीद ,न रहे
ReplyDeleteदो पल सही ,तपती जमी पर छाँव आ गया
...बादलों में आ की मात्रा छूट गई है..ठीक कर लें। इस शेर का भाव अच्छा है।
फिर आया वोटों का मौसम ...............जिसने दिल में हलचल मचाया , वोटों का लुटेरा वोट लुटने आया .....
ReplyDeleteकहता है कौन गावं का ,विकास ठप्प है ,
ReplyDeleteबाज़ार में लाठी का देखो ,भाव आ गया ....
क्या बात है ... सच में लगता है चुनाव आ रहा है ... बहुत अच्छी रचना है ....
Bilkul sahi
ReplyDeleteक्या बात है ...... बहुत अच्छी रचना है
ReplyDeleteपाच सालों में तो उन्हें फुर्सत न मिली
ReplyDeleteनेता जी को अब फिर याद आम आदमी आ गया ....
bahut sateek vaar karti rachna ...
sahi aur sunder.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है जी।
ReplyDeleteजिन बदलो से वर्षा की उम्मीद ,न रहे
ReplyDeleteदो पल सही ,तपती जमी पर छाँव आ गया
Bahut sundar lagi ye panktiyan..
कहता है कौन गावं का ,विकास ठप्प है ,
ReplyDeleteबाज़ार में लाठी का देखो ,भाव आ गया ...
laazwaab
जिन बदलो से वर्षा की उम्मीद ,न रहे
दो पल सही ,तपती जमी पर छाँव आ गया
bahut badhiya rachna ,main tyohar ki taiyaari me vyast hoon is karan nahi aa paa rahi ,aapko diwali ki bahut bahut badhai
कहता है कौन गावं का ,विकास ठप्प है ,
ReplyDeleteबाज़ार में लाठी का देखो ,भाव आ गया ...
बहुत सुन्दर और सामयिक
और फिर
हर गली-नुक्कड़ पर काँव-काँव आ गया है
वाह..आज के हालात का बढ़िया वर्णन...खूब कही आपने..धन्यवाद
ReplyDeletemaza aagaya vijay ji rachna padke
ReplyDeleteinetresting, vyang hasye ke sath
ReplyDeletesundar rachna
यह कितनी ही पुरानी रचना हो जाए पर जब भी चुनाव आयेंगे बिलकुल फिट रहेगी ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छा लिख रहे हो ...शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत खूब .....
ReplyDeleteनेताओं को सही राह दिखाई है आपने ....
(बदलों से = बादलों से )
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteहम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.
सर, बहुत-बहुत वधाई. बार-बार पढने को मजबूर किया रचना ने. उम्दा.
ReplyDelete--
धनतेरस व दिवाली की सपरिवार बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं.
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वात्स्यायन गली
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteहम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.