अक्सर वो बुलाना उसका
कभी यादो में ,कभी ख्वाबों में आ जाना उसका
एक हलचल सी ,मचाती है ,याद आना उसका
धूप में जिन्दगी के ,पाँव जब जलते होते ;
छाँव में पलकों के ,अक्सर वो बुलाना उसका
चोर कह करके ,हौले से वो बदन का ढकना ;
और फिर खुद ही ,दुपट्टा गिरा देना उसका
कई दिनों के बाद मिलने पर भी ,कोई शिकवा न गिला ;
मेरी सलामती की बातें ,और रो देना उसका
जिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
मिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
विजय कुमार वर्मा
एक हलचल सी ,मचाती है ,याद आना उसका
धूप में जिन्दगी के ,पाँव जब जलते होते ;
छाँव में पलकों के ,अक्सर वो बुलाना उसका
चोर कह करके ,हौले से वो बदन का ढकना ;
और फिर खुद ही ,दुपट्टा गिरा देना उसका
कई दिनों के बाद मिलने पर भी ,कोई शिकवा न गिला ;
मेरी सलामती की बातें ,और रो देना उसका
जिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
मिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
विजय कुमार वर्मा
अक्सर वो बुलाना उसका
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
7:59 AM
Rating:
khoob surat ..........
ReplyDeleteक्या भाव उड़ेले हैं। वाह।
ReplyDeleteसुंदर भाव...चुपके चुपके रात दिन !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से मन के भाव कहे हैं ...
ReplyDeletebahut khoob ..... vijay ji...
ReplyDeleteजज़्बात पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया ,.......... एक तस्सवुर की तरह लगी आपकी रचना ...............शुभकामनाये ऐसे ही लिखते रहिये....
ReplyDeleteकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए-
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
बहुत अच्छा लिखा है आपने.
ReplyDeleteआपको ढेरों शुभकामनाएं.
khoob surat ..........
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है |
ReplyDeleteमाफ़ करना पर आपकी रचना पढके मेरे मन मैं
कुछ ख्याल आया और उसको मैंने इन पंक्तियों में लिख दिया है :)
भूलूं भी तो कैसे भूलूं, मेरी एक आवाज़ पर;
जेठ की तपती धूप में, छत पर आ जाना उसका
जिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
ReplyDeleteमिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
बहुत खूब .... सच कहा है .... अगर वो नही तो जीवन कुछ भी नही .... बेहतरीन शेर ...
very emotional creation...Thanks.
ReplyDeleteधूप में जिन्दगी के ,पाँव जब जलते होते ;
ReplyDeleteछाँव में पलकों के ,अक्सर वो बुलाना उसका
शानदार पंक्तियाँ.
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने
ReplyDeleteब्लॉग पर आने के लिए आभार
.
ReplyDeleteमेरी सलामती की बातें ,और रो देना उसका....
A line full of emotions...
.
नज़्म इसलिए खूबसूरत है क्योंकि लफ़्ज़ों में सच्च बयानी है .....
ReplyDeleteचोर कह करके ,हौले से वो बदन का ढकना ;
और फिर खुद ही ,दुपट्टा गिरा देना उसका
और फिर न शिकवा न शिकायत ...सलामती की दुआ में रो देना ....
इक पाक मुहब्बत की दास्तां है आपकी नज़्म .....!!
धूप में जिन्दगी के ,पाँव जब जलते होते ;
ReplyDeleteछाँव में पलकों के ,अक्सर वो बुलाना उसका
बहुत खूबसूरत एहसास हैं, खूबसूरत रचना
ख़ूबसूरत भावपूर्ण अशआर हैं.
ReplyDeleteकई दिनों के बाद मिलने पर भी ,कोई शिकवा न गिला ;
ReplyDeleteमेरी सलामती की बातें ,और रो देना उसका
जिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
मिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
bahut hi chhuti hui panktiyan..........
rachna behat achhi hai...........
Lovely poem :)..Keep up thr good work:)
ReplyDeleteजिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
ReplyDeleteमिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
bahut pyaari rachna
sundar rachna ke liye
ReplyDeletedhnyavad
Vermaji,
ReplyDeleteAapki sabhi rachnayen bahut achchi hai,satik rachnaon per tipnikaron ka akal tha ath wahan-2 mainey aapka samarthan kar diya hai apna FARZ samajh kar.
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है, हर एक शे‘र अनमोल।
ReplyDeleteVermaji,
ReplyDeleteAjaiji ki gathri per gandhiji ke sambandh me apki satya-vani padh kar aapkey blog per pahuncha tha,rozana nai rachna ka intzar rahta hai.
Vermaji,
ReplyDeleteAjaiji kiGathri per Gandhiji wali aapki rachna dekh kar yahan pahuncha aur rozana nai rachna ka intzar kar raha hun.
man ke bhavoo ko badi hi khoobsurati ke saath shabdo me dhala hai.
ReplyDeleteजिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
मिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका
bahut hi pyari gazal---
poonam
बहुत अच्छा लिखा है, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है
ReplyDeletewaah..kya baat hai!
ReplyDeleteजिन्दगी कितनी अधूरी सी ,आज लगती है ;
ReplyDeleteमिल गया सब कुछ ,पर सिर्फ न मिल पाना उसका ..
भिगो दिया अंदर तक .... बहुत कमाल के शेर लिखे हैं सब ....