तेरे रस्ते मेरे दिल की तरफ़ जो मुङ गए होते ऐ बादल बेकसी के जाने कब के उङ गए होते कदम मेरे बंधे थे साथ तेरे चल न पाये ऐ तुम्हीं मेरे लिए दो पल कहीं पर रूक गए होते विजय कुमार वर्मा
मेरे लिए
Reviewed by VIJAY KUMAR VERMA
on
4:10 AM
Rating: 5
आप उस मुकाम के तरफ कदम बाधा चुके है ..हमारी दुनिया में आप के इस कदम का स्वागत है ..आप का ब्लॉग अच्छा चल रहा है ..बस ऐसे ही बांये रखे ....वो दिन दूर नहीं जो ...... है
आप उस मुकाम के तरफ कदम बाधा चुके है ..हमारी दुनिया में आप के इस कदम का स्वागत है ..आप का ब्लॉग अच्छा चल रहा है ..बस ऐसे ही बांये रखे ....वो दिन दूर नहीं जो ...... है
ReplyDeletebahut achha hai
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